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गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर बैठक खत्म, पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र को मिल सकती है सत्ता की कमान!

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देहरादून। गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर उत्तराखण्ड के सीएम के नाम को लेकर हुई बैठक खत्म हो गई है। इस बैठक मे उत्तराखण्ड भाजपा के बड़े नेता शरीक हुए। बताया जा रहा है कि सीएम का ऐलान विधायक दल की बैठक में होगा। फिलहाल अभी भी प्रदेश के नए सीएम को लेकर अटकल बाजी का दौर जारी है। नए सीएम की फेहरिस्त में पुष्कर सिंह धामी, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, डॉ. धनसिंह रावत, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ऋतु खंडूड़ी समेत कई नाम शामिल हैं।

वहीं सीएम पद के लिए त्रिवेन्द्र सिंह रावत बड़े दावेदार बताये जा रहे हैं। हालांकि पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र मीडिया में बयान दे चुके है कि वे सीएम की रेस में शामिल नहीं हैं। यहां तक की उन्होंने विधानसभा का चुनाव भी नहीं लड़ा है। लेकिन डोईवाला से नवनिर्वाचित विधायक ब्रजभूषण गैरोला का पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र के लिए अपने सीट छोड़ने के बयान से एक बार फिर त्रिवेन्द्र रावत चर्चाओं में हैं।

जानकार बताते है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के चार सालों में किए गए कार्यों को भुलाया नहीं जा सकता है। त्रिवेन्द्र सरकार के चार साल कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई विकास के कार्य किए। चाहे वह स्वास्थ्य के क्षेत्र में अटल आयुष्मान योजना हो, गरीब जनता को एक रुपये नल से जल की योजना, महिलाओं को पति की पैतृक संपत्ति में सहखातेदार बनाने की योजना हो या फिर मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना। उनके कार्यकाल में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का भी ऐतिहासिक फैसला लिया गया। मोदी विजन की तमाम योजनाओं को उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान धरातल में उतारने का काम किया। खास बात है कि वे भाजपा हाईकमान के नजदीकी बताये जाते हैं।

जानकार बताते है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत बीजेपी की अंदरुनी राजनीति का शिकार हुए। बीजेपी में ही कई खेमे उनके खिलाफ हो गए थे। मजबूरन केंद्रीय नेतृत्व को उन्हें हटाना पड़ा। त्रिवेंद्र सिंह रावत, जमीनी स्तर के नेता रहे हैं। उनकी संगठन के भीतर मजबूत पकड़ मानी जाती है। ऐसे में बीजेपी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका दी और उनके कार्यों को जनता के बीच लेकर गई। इसी का नतीजा रहा कि उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी को 70 में 47 सीटों पर प्रचंड जीत मिली।

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