श्रीनगर। रक्षा प्रमुख जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत सेना के 11 अन्य जवानों की चौपर दुर्घटना मंे हुए निधन से हर कोई स्तब्द्ध है। इस घटना में देश हो हुई अपूरणीय क्षति के प्रति अपनी संवदेना व्यक्त करते हुए गुरूवार को हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में शोक-सभा का आयोजन किया गया।
विश्वविद्यालय के चौरास स्थित इनर स्पोटर्स स्टेडियम में उतराखंड की माटी के सपूत जनरल बिपिन रावत के अतुलनीय योगदान को याद किया गया। इस मौके पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 अन्नपूर्णा नौटियाल ने उनके जीवन के कई पहलूओं को साझा करते हुए बताया कि गढ़वाल विश्वविद्यालय उनके योगदान को कभी नही भूला पायेगा।
उन्होंने कहा कि जनरल रावत ने एक सप्ताह पहले ही बतौर विशिष्ट अतिथि नौंवे दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के लिए कई नई योजनाओं का प्रस्ताव रखा था और अपना मार्गदर्शन देने की बात कही थी लेकिन आज उनका यूं अचानक चले जाना अपूरणीय क्षति है।
1 दिसम्बर को चौरास स्थित जिस मैदान पर उनका भव्य स्वागत किया गया था आज जब उसी मैदान पर विश्वविद्यालय के सैकड़ो शिक्षक, कर्मचारियों, एनसीसी कैडेट्स ने उन्हें श्रद्धाजंलि दी तो हर किसी के आखें नम थी।
गौरतलब है कि जनरल बिपिन रावत को अपनी मातृभूमि से बेहद लगाव था और उन्हें जब भी मौका मिलता था वे उतराखंड जरूर आते थे। सेना प्रमुख जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के बाद भी वे अपने पौड़ी स्थित सैण-बिरमोली गांव आते थे। हाल ही में जनरल रावत हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल के नौंवे दीक्षांत समारोह में एक दिसम्बर को विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे थे। जहां उन्होंने करीब 5 घटें बिताये। वे सेना के प्रोटोकॉल के बावजूद यहां विश्वविद्यालय के छात्र.छात्राओं, शिक्षक, कर्मचारियों समेत कई स्थानीय लोगों से भी मिले थे।
उन्होंने श्रीनगर में अपने संम्बोधन में पहाड़ की विभिन्न समस्याओं को लेकर अपनी चिंता जताई थी और युवाओं को रोजगार की दृष्टि से नई सोच विकसित करने की प्रेरणा दी थी। उन्होंने दीक्षांत समारोह में छात्र-छात्राओं को नौकरी को लेकर एक विशेष बात कही कि- एक उच्च शिक्षा प्राप्त युवा को नौकरी पाने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बनना चाहिए। उनका कहना था कि पहाड़ के युवा नौकरी पाने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बने।
