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मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उत्तराखण्ड के सामाजिक उद्यमियों से किया संवाद।

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देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उत्तराखण्ड के सामाजिक उद्यमियों से संवाद करते हुए कहा कि हमें स्थानीय संसाधनों को आधार मानकर आगे बढ़ेंगे, तो आत्मनिर्भर बनने में सुविधा होगी। प्रकृति ने देवभूमि उत्तराखण्ड को बहुत कुछ दिया है। अनेक प्रकार की जैव विविधताएं उत्तराखण्ड में हैं। हिमालयी एवं तराई क्षेत्र के साथ ही राज्य के सम्यक विकास के लिए अनेक संपदाएं उत्तराखण्ड के पास हैं। स्वरोजगार की दिशा में राज्य सरकार द्वारा अनेक कार्य किये जा रहे हैं। इस दिशा में सोचने की जरूरत है कि हम अपने साथ कितने और लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि इन्वेस्टर समिट के दौरान राज्य में 01 लाख 25 हजार करोङ रूपये के एमओयू हुए, जिसमें से 25 हजार करोड़ रूपये के कार्यों की ग्राउंडिंग हो चुकी है। राज्य बनने से औद्योगिक क्षेत्र में 2017 तक राज्य में 40 हजार करोड़ रूपये का इन्वेस्टमेंट हुआ, जबकि पिछले साढ़े तीन सालों में 25 हजार करोड़ रूपये का इन्वेस्टमेंट हो चुका है। राज्य में चीड़ की पत्तियों से बिजली एवं चारकोल बनाने के कार्य शुरू किये गये हैं। उत्तराखण्ड के वन क्षेत्र में 27 प्रतिशत क्षेत्र में चीड़ होता है। चीड़ की पत्तियों से वनाग्नि की समस्याएं भी बहुत रहती थी। चीड़ के सदुपयोग एवं स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार के अवसर बढ़ाने में यह पॉलिसी काफी कारगर होगी। इससे 40 हजार लोगों को रोजगार दिया जा सकता है और पर्यावरणीय लाभ भी होंगे। लीसे से अनेक किस्म के आईटम बनते है। ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए हर न्याय पंचायत में रूरल ग्रोथ सेंटर बनाये जा रहे हैं। अभी तक 100 से अधिक ग्रोथ सेंटरों को स्वीकृति दी जा चुकी है। अलग-अलग थीम पर ग्रोथ सेंटर बनाये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों को हिमालयी ब्रांड से पहचान दिलाने की दिशा में कार्य किये जा रहे हैं। आर्गेनिक उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उत्तराखण्ड में टूरिज्म के क्षेत्र में अनेक संभावनाएं हैं। इस दिशा में सरकार अनेक कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 150 तरह के कार्य किये जा सकते हैं। राज्य में मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार  योजना शुरू की गई है। इसके तहत 10 हजार युवाओं एवं उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित की जायेंगी। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वरोजगार के लिए काफी कारगर साबित होगी। होम स्टे को राज्य में बढ़ावा दिया जा रहा है। अभी तक 2200 से अधिक होम स्टे रजिस्टर्ड हो चुके हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस अवसर सामाजिक उद्यमिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले विभिन्न लोगों से बात की। उन्होंने मशरूम उत्पादन में कार्य करने और इसके लिए अन्य लोगों को प्रशिक्षित कर रही दिव्या रावत, हेल्थ एवं पर्सनल केयर प्रोडक्ट में कार्य करने के साथ ही अन्य लोगों को इससे जोड़ने वाले हर्षपाल चौधरी, ईको टूरिज्म एवं स्थानीय संस्कृति के क्षेत्र में कार्य कर नुपुर अग्रवाल, होम स्टे चला रही निवेदिता कार्की, आर्टिफिशल इन्टेलीजेंसी के क्षेत्र में कार्य कर रही सुरी प्रेक्षा कपरवाण, एडवेंचर और टूरिज्म के क्षेत्र में कार्य कर रहे विक्रम सिंह पंवार एवं मशरूम उत्पादन का कार्य कर रही प्रीति भंडारी से वार्ता की। प्रीति भंडारी ने कहा कि उन्होंने 500 रूपये से मशरूम उत्पादन का कार्य शुरू किया था और आज वे 40 हजार रूपये तक प्रतिमाह कमा लेती हैं। इस अवसर पर उच्च शिक्षा उन्नयन समिति की उपाध्यक्ष दीप्ति रावत, सचिव राधिका झा, पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस.नेगी, मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार डॉ. नरेन्द्र सिंह, आईटी सलाहकार रविन्द्र दत्त, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल, कार्यक्रम के संयोजक अखिलेश रावत आदि उपस्थित थे।

प्रदेश में गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं के पोषण हेतु संचालित की जायेगी सौभाग्यवती योजना।

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देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत प्रदेश में गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं को साफ-सफाई आदि से सम्बन्धित सामग्री किटों की वितरण योजना सौभाग्यवती का शीघ्र ही शुभारम्भ करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं को उचित देखभाल के साथ ही उन्हें उचित पुष्टाहार दिये जाने की व्यवस्था की गई है। अब उन्हें पौष्टिक आहार के साथ ही सफाई के प्रति प्रेरित करने की आवश्यकता है। इसी के दृष्टिगत गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं को दैनिक उपयोग की सामग्री आदि अलग-अलग किटों में तैयार कर प्रदान किये जाने की व्यवस्था की जा रही है। इससे उनके स्वास्थ्य एवं रहन सहन में निश्चित रूप से बदलाव आयेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वस्थ समाज के लिये गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं की बेहतर देखभाल समय की जरूरत है। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं को सौभाग्यवती योजना के तहत दिये जाने वाली किट में 250 बादाम गिरी/सुखी खुमानी/अखरोट, 500 ग्राम छुआरा, 02 कॉटन गाउन/साड़ी/सूट, 01 शॉल गर्म फुल साईज, 01 स्कॉर्फ कॉटन/गर्म स्टेन्डर्ड साइज, 02 जोड़े जुराब स्टैण्डर्ड साइज, 01 तौलिया बड़े साइज का, 02 पैकेट सैनिटरी नैपकिन (08 प्रति पैकेट), 02 जोड़े बेड शीट (तकिये के कवर सहित), 01 नेल कटर, 01 नारियल/तिल/सरसों/चुलू का तेल, 200 एम.एल हैण्डवाश लिक्विड, 02 कपड़े धोने का साबुन 02 नहाने का साबुन शामिल रहेगा। शिशुओं के लिये को दी जाने वाली किट में 02 जोड़े शिशु के कपड़े (सूती या गर्म-मौसम के अनुसार) टोपी और जुराब सहित, 01 पैकेट (10 पीस) कॉटन डाइपर, 01 बेबी तौलिया कॉटन सॉफ्ट, 03 बेबी साबुन, 01 तेल, 01 पाउडर, 02 बेबी ब्लैंककेट गर्म अथवा कॉटन (मौसम अनुसार), 01 रबर शीट, 01 समस्त सामग्री पैक करने हेतु सूती बैग शामिल रहेगा। प्रदेश में शुरू की जाने वाली सौभाग्यवती योजना में आयकर देने वाले तथा सरकारी सेवकों के आश्रित शामिल नहीं रहेंगे। किट में स्थानीय पहनावों एवं मौसम के अनुकूल वस्त्र तैयार कर दिये जाने की भी व्यवस्था रहेगी।

CORONA UPDATE: उत्तराखण्ड में आज पाये गये 704 नये कोरोना केस, 716 लोगों की हो चुकी मृत्यु।

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देहरादून। कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर उत्तराखंड में आज स्वास्थ्य विभाग से जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार राज्य में 704 लोग कोरोना संक्रमित मिले है. जिसके बाद राज्य में कोरोना संक्रमित लोगो की संख्या 54063 हो गयी है. आपको बताते चले अभी तक 45774 कोरोना संक्रमित लोग उत्तराखंड राज्य में ठीक हो चुके है तथा प्रदेश में टोटल एक्टिव केस 7289 एवं टोटल मृत्यु 716 है।

उत्तराखंड वन विभाग को ‘फोरेस्ट्री इनटरवेंशन फॉर गंगा’ के लिए 39,95,58000 रूपये व्यय की मिली स्वीकृति।

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The Chief Minister of Uttarakhand, Shri Trivendra Singh Rawat calling on the Union Home Minister, Shri Amit Shah, in New Delhi on August 19, 2019.
देहरादून। जल शक्ति मंत्रालय के नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा द्वारा नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत चोरपानी, मुनि की रेती में स्लज मैनेजमेंट प्लांट परियोजना के लिए 8 करोङ 67 लाख रूपये की प्रशासनिक और व्यय की स्वीकृति दी गई है। यह योजना शत प्रतिशत केन्द्र पोषित होगी। इस सम्बन्ध में स्पष्ट किया गया है कि स्वीकृति के दिनांक से चार माह के भीतर परियोजना अवार्ड कर दी जानी होगी जबकि अवार्ड किए जाने के बाद 6 माह में इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। उत्तराखंड पेयजल निगम इसकी कार्यदायी संस्था होगी। इसके साथ ही जल शक्ति मंत्रालय के नेशनल मिशन फोर क्लीन गंगा द्वारा उत्तराखंड के वन विभाग को ‘फोरेस्ट्री इनटरवेंशन फॉर गंगा’ के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2020-21 के लिए 39 करोङ 95 लाख 58 हजार रूपये की प्रशासनिक और व्यय की स्वीकृति प्रदान की है। शत प्रतिशत केन्द्र पोषित इस परियोजना का उद्देश्य स्वच्छ गंगा में योगदान करना है। विशेष रूप से नदी क्षेत्र में भूगर्भीय व पारिस्थितिकीय पूर्णता को बनाए रखते हुए अनंत वन धारा विकसित करने का कार्य इसमें शामिल है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इसके लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का आभार व्यक्त किया है।

विधायकगणों एवं अधिकारियों ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई जीतने की ली शपथ।

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देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम एवं बचाव हेतु जन जागरूकता अभियान के तहत विधायकगणों एवं अधिकारियों को प्रतिज्ञा/शपथ दिलाई। उन्होंने कोविड-19 से बचाव हेतु कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सावधानियां बरतने, कोविड से जुड़े आचार व्यवहार का अनुसरण करने और दूसरों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करने की शपथ दिलाई। मास्क, फेस कवर पहनने एवं दूसरों से 02 गज की दूरी बनाकर रखने, नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोने, कोविड के लक्षण महसूस होने पर तत्काल चिकित्सा सलाह लेने एवं मिलकर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई जीतने की भी शपथ दिलाई।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों एवं कार्मिकों को कोराना से बचाव के लिए जन जागरूकता पर विशेष ध्यान देना होगा। त्योहारों एवं शीतकाल का समय शुरू होने वाला है। इसके दृष्टिगत मास्क की अनिवार्यता, सोशल डिस्टेंसिंग एवं स्वच्छता से सबंधित नियमों के पालन के लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता जरूरी है। सर्दी के समय में कोविड से बचाव के लिए और सतर्कता की जरूरत है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जब तक राज्य में कोविड पूर्ण रूप से समाप्त नहीं होता, तब तक जन जागरूकता अभियान चलाया जायेगा। उन्होंने कहा कि यदि किसी को कोविड के कोई लक्षण दिखाई दे,तो शीघ्र इसकी सूचना टोल फ्री नम्बर या स्वास्थ्य विभाग को दी जाये।

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मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सुरक्षात्मक उपायों से इस बीमारी से लड़ा जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं स्वास्थ्य विभाग की गाईडलाईन का पूरा पालन जरूरी है। अधिकारी बैठकों को अधिकतम वर्चुअल माध्यम से करें। सतर्कता से राज्य में कोविड संक्रमण की दर में कमी आयी है, लेकिन इस समय किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरती जाये।
इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से विधायकगण, सचिवालय में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आर.के. सुधांशु, अमित नेगी, नितेश झा, शैलेष बगोली, डाॅ. पंकज पाण्डेय, डाॅ. रणजीत सिन्हा, महानिदेशक सूचना डाॅ. मेहरबान सिंह बिष्ट एवं शासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सीएम ने ग्रामप्रधान और ग्रामवासियों से QDA द्वारा सम्पर्क स्थापित कर प्रणाली का किया शुभारंभ।

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देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने  USDMA देहरादून उत्तराखंड  कन्ट्रोल रूम से प्रदेश के अति दुर्गम और दूरस्थ क्षेत्र मलारी (चमोली) ,गुंजी (पिथौरागढ़ ) और त्यूणी ( देहरादून) क्षेत्र के प्रधान और ग्रामवासियों से QDA से सम्पर्क स्थापित कर प्रणाली का उत्तराखण्ड में शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों से बातचीत के दौरान क्षेत्र की  समस्याओं की जानकारी भी प्राप्त की। सभी ग्रामवासियों ने क्षेत्र को डिजिटल प्रणाली से जोड़ने ओर पूर्व में सेटेलाइट फोन वितरण के लिए महोदय का धन्यवाद किया। मलारी से मंगल सिंह राणा (प्रधान मलारी), ने मुख्यमंत्री से क्षेत्र में कृषि के दौरान सिंचाई की समस्या से अवगत कराया और विकल्प के तोर पर नहर (कूल) को उपयुक्त बताया, जिस पर मुख्यमंत्री द्वारा तत्काल ही इस समस्या का स्थायी समाधान एवम नहर निर्माण पर अपनी सहमति दी गई। ग्राम प्रधान ने मुख्यमंत्री  को अपने  गांव में भी आमंत्रित किया जिसे मुख्यमंत्री द्वारा सहर्ष ही स्वीकार किया गया। मुख्यमंत्री  पिथौरागढ़ के दूरस्थ सीमांत क्षेत्र गुंजी से भी ग्रामीणों से जुड़े। जहां ग्रामीणों ने डिजिटल प्रणाली के शुभारम्भ पर धन्यवाद दिया साथ ही गुंजी गाँव से कुमारी लक्ष्मी गुंज्याल ने क्षेत्र की समस्याओं से भी अवगत कराया जिसमे मुख्यतः नेटवर्क प्रॉब्लम, हॉस्पिटल स्टाफ की समस्या बताई गई, जिस पर मुख्यमंत्री द्वारा गुंजी गांव के ही स्थानीय व्यक्ति के स्टाफ नियुक्ति हेतु आश्वासन दिया गया और नेटवर्क प्रॉब्लम हेतु टावर लगाने पर भी अपनी सहमति दी। जनपद देहरादून के दूरस्थ क्षेत्र त्यूणी से भी मुख्यमंत्री ने QDA वीडियो कॉलिंग से बात की। स्थानीय निवासियों की समस्याओं को सुना और समस्याओं के निराकरण हेतु आश्वासन दिया।

CORONA UPDATE: 400 नये कोरोना केस के साथ कुल आंकड़ा पहुंचा 53359, साल के अंत में आएगी कोरोना वैक्सीन।

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देहरादून। कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर उत्तराखंड में आज स्वास्थ्य विभाग से जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार राज्य में 400 लोग कोरोना संक्रमित मिले है. जिसके बाद राज्य में कोरोना संक्रमित लोगो की संख्या 53359 हो गयी है. आपको बताते चले अभी तक 44535 कोरोना संक्रमित लोग उत्तराखंड राज्य में ठीक हो चुके है तथा प्रदेश में टोटल एक्टिव केस 7849 एवं टोटल मृत्यु 702 है. आपको बता दें कि जहां कोरोना संक्रमण को लेकर जहां एक और देशभर में भय का माहौल बना हुआ है. वहीं सरकार की तरफ से कोविड-19 की रोकथाम के लिए बड़ा संकेत मिल रहा है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि इस साल के आखिरी तक कोविड-19 की वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी. लेकिन वह किस मात्रा में और कितनी मिलेगी इसके लिए है सरकार होमवर्क कर रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यक्ति की उपलब्धता के अनुसार जरूरी और जरूरतमंदों को वैक्सीन उपलब्ध कराई जाएगी.
मुख्यमंत्री का कहना है कि जब वैक्सीन आ जाएगी तो उत्तराखंड को एक साथ 1 करोड़ वैक्सीन तो नहीं मिल पाएंगी, लेकिन इस बात की तैयारियां की जा रही है कि प्राथमिकता के साथ ठीक तरिके से वैक्सीनीसन हो जाए, इसकी रणनीति बनानी है. वहीं उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव अमिति नेगी का कहना हे कि केंद्र सरकार के द्वारा एक रोड मैप तैयार करने के लिए कहा गया है, कि किस तरह वैक्सीन जनता को दी जाएगी, हर 5 दिन में इसको लेकर एक प्रोटोकॉल भी बनेगा और एक सॉफ्टवेयर भी इसके लिए तैयार होगा कि कहां पर वैक्सीन दी जा रही है.

पटेलनगर स्थित एचएनबी उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विवि का तृतीय दीक्षांत समारोह आयोजित।

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देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पटेलनगर स्थित हेमवती नन्दन बहुगुणा उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने छात्र-छात्राओं को उपाधियां प्रदान की। विश्वविद्यालय द्वारा सत्र 2019-20 के कुल 922 अभ्यर्थियों को उपाधियां प्रदान की गई।

इस अवसर पर संजय गांधी पी.जी.आई.एम.एस लखनऊ के न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष (पद्मश्री) प्रो. सुनील प्रधान, एम्स जोधपुर के निदेशक प्रो. संजीव मिश्रा, भूतपूर्व कुलपति हेमवती नन्दन बहुगुणा, उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय प्रो. सौदान सिंह एवं एम्स नई दिल्ली के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डी.के. शर्मा को ‘‘डी एस सी’’ की मानद उपाधि दी गई। चिकित्सा क्षेत्र में श्रेष्ठ शोध पत्र के लिए डॉ. प्रियंका चौरसिया, डॉ. स्मृति, डॉ. प्रेरणा सिंह एवं डॉ. दीपिका लोहानी को प्रो. (डॉ.) एन.सी.पंत पुरस्कार दिया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने हेमवती नन्दन बहुगुणा उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हेम चन्द्र द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘‘हेल्थ केयर डिलीवरी सिस्टम इन इंडिया’’ का विमोचन भी किया।

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मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि शिक्षा जीवन पर्यन्त सीखने की प्रक्रिया है। इन विद्यार्थियों को अब एक नये जीवन की शुरूआत करनी है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने 06 वर्षों में राज्य में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में कई गुणात्मक कार्य किये हैं, यह टीम वर्क का एक अच्छा उदाहरण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2020 पूरे विश्व के लिए चुनौतीपूर्ण वर्ष रहा है। कोरोना महामारी ने मानव जीवन को काफी प्रभावित किया। कोविड से लड़ने के लिए हमारे सामने एक बड़ी चुनौती है। इस महामारी से लड़ने के लिए हमारे चिकित्सकों की सबसे अहम भूमिका रही है। लोगों की जीवन रक्षा के लिए देश में सैकड़ो चिकित्सकों ने अपने प्राणों की आहुति दी। चिकित्सकों के प्रयासों के परिणामस्वरूप इस कोरोना काल में सभी लोग आशावादी जीवन जी रहे हैं।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि कोविड से बचाव के लिए राज्य सरकार ने व्यापक स्तर पर जन जागरूकता अभियान चलाया है। इसके लिए अपने अनुभवों को साझा करने के लिए एवं इससे बचाव हेतु लोगों से सुझाव भी मांगे गये हैं। समाज के प्रबुद्ध लोगों, चिकित्सकों, कोरोना वॉरियर्स, कारोना विनर्स एवं अन्य लोग अपने अनुभवों को विभिन्न माध्यमों से साझा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी एडवांस सोचती है और उनका कार्य करने का तरीका भी नया होता है। उन्हें अपने विचारों को विभिन्न माध्यमों से जरूर व्यक्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में चिकित्सकों ने देवदूत की भूमिका निभाई है।

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मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य में सरकार बनने के बाद हमने स्वास्थ्य सुविधाओं को पहली प्राथमिकता में रखा। 2017 तक राज्य में केवल एक हजार डॉक्टर थे। अभी प्रदेश में 2500 डॉक्टर हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में चिकित्सकों को भेजा गया है।  03 मेडिकल कॉलेज राज्य में चल रहे हैं, अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज भी जल्द चालू हो जायेगा। भारत सरकार द्वारा राज्य के लिए 03 मेडिकल कॉलेज और स्वीकृत किये गये हैं। सबको बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हमें और चिकित्सकों की आवश्यकता है। प्रदेशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले इसके लिए राज्य में अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना शुरू की गई। इससे प्रदेश के सभी 23 लाख परिवारों को सुरक्षा कवच दिया है।

इस अवसर पर कुलपति हेमवती नन्दन बहुगुणा उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय प्रो. हेम चन्द्र, सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी, प्रभारी सचिव स्वास्थ्य डॉ. पंकज पाण्डेय, निदेशक चिकित्सा शिक्षा युगल किशोर पंत आदि उपस्थित थे।

संचार के लिए क्यू.डी.ए प्रणाली को उपयोग करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखण्ड।

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देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने संचार की नवीनतम प्रणाली क्यू.डी.ए का शुभारम्भ किया।  इस तकनीक का उपयोग करने वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है। दूरस्थ ग्रामों के नो सिंगल एरिया में संचार के लिए एसडीआरएफ द्वारा क्विक डिप्लोएबल एंटिना स्थापित किया गया है।  मुख्यमंत्री ने एसडीएमए, देहरादून उत्तराखंड  कन्ट्रोल रूम से प्रदेश के चमोली जिले के मलारी, पिथौरागढ़ जिले के गुंजी और देहरादून जिले के त्यूणी क्षेत्र के प्रधान और ग्रामवासियों से क्यूडीए से सम्पर्क स्थापित कर प्रणाली का उत्तराखण्ड में  शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने क्षेत्र की  समस्याओं की जानकारी भी  प्राप्त की। उन्होंने एसडीआरएफ के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार की प्रणाली  उत्तराखंड में किसी भी आपदा रूपी संकट के  दौरान संजीवनी स्वरूप है जिसके दूरगामी परिणाम अत्यंत सुखद ओर लाभकारी होंगे। सभी ग्रामवासियों ने क्षेत्र को डिजिटल प्रणाली से जोड़ने ओर पूर्व में सेटेलाइट फोन वितरण के लिए मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया। क्यूडीए से सम्पर्क के दौरान मलारी से मंगल सिंह राणा, शेर सिंह राणा, बच्चन सिह राणा, गुंजी से कुमारी लक्ष्मी, मानवती देवी, संतोष सिंह और त्यूणी से मातवर सिह चैहान, गोविंद शर्मा , अंजली गुसाईं, ममता सहित अन्य ग्रामीण उपस्थित थे। प्रदेश के सुदूरवर्ती एवमं सीमांत क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए राज्य के सभी जनपदों में संचार की दृष्टि से कमजोर क्षेत्रों में 248 सेटेलाइट फोन वितरित किये थे। इस काम को को गति और व्यापकता देते हुए एसडीआरएफ द्वारा नवीनतम टेक्नोलॉजी क्यू.डी.ए (क्विक डिप्लोएबल एंटिना) का क्रय किया गया। उत्तराखंड देश में प्रथम राज्य है जो इस प्रकार की टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहा है। वर्तमान में देश में एनडीआरएफ और पैरामिलेट्री फोर्सेस  ही इसका उपयोग कर रहे हैं। क्यूडीए एक प्रकार से  नो सिंगल एरिया  से  संचार स्थापित  करने की  महत्तम  ओर नवीनतम टेक्नोलॉजी है। इस प्रणाली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और डेटा को भेजने के लिए 1.2 मीटर क्यू.डी.ए (वी.एस.ए.टी) एंटीना टर्मिनलों और 1.2 मीटर स्टेटिक (वी.एस.ए.टी बहुत छोटे एपेरचर टर्मिनल) एंटीना टर्मिनल  का उपयोग होता है। यह  विभिन्न वीसैट टर्मिनल के साथ उपग्रह आधारित संचार स्थापित करने में मदद करता है। वॉयस और वीडियो संचार को दूरस्थ से दूरस्थ वी.एस.ए.टी टर्मिनलों तक संप्रेषित किया जाता है। 1.2 मीटर क्यू.डी.ए वी.एस.ए.टी एक पोर्टेबल सिस्टम है जो अलग-अलग दूरस्थ क्षेत्रों  में तुरंत स्थापित किया जा सकता है सकता है और किसी भी इलाके में स्थापित हो सकता है। साधारण तौर पर यह कह सकते है कि यह टेक्नोलॉजी किसी ऐसे क्षेत्र में जहां किसी प्रकार का संचार का साधन नही है, उपयोग करने पर तत्काल  सेटेलाइट से सम्पर्क स्थापित कर लाइव ऑडियो ओर वीडियो कॉल की सुविधा देता है। क्यू.डी.ए. ’स्टैटिक ओर मोबाइल’ दो प्रकार का होता है। प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए किसी भी आपदा के दौरान स्टेटिक क्यू.डी.ए. का एसडीआरएफ वाहिनी मुख्यालय जोलीग्रांट, एसडीएमए, देहरादून या किसी अन्य उपयुक्त स्थान में स्थापित किया जा सकेगा मोबाइल क्यू.डी.ए. को तत्काल हेलीकॉप्टर की सहायता से सम्बंधित क्षेत्रो में  भेजकर  स्थापित किया जाएगा। जहां से आपदा के दौरान आपदा ग्रस्त क्षेत्र की स्थिति  एवं नुकसान की जानकारी तत्काल प्राप्त हो सकेगी। साथ ही बचाव के लिए  सशक्त योजना के अनेक विकल्प प्राप्त हो सकेंगे। इस प्रणाली के उपयोग से प्रदेश में किसी भी आपदा के दौरान मानव क्षति को कम से कम किया जा सकेगा। इस अवसर पर  सचिव गृह नितेश झा, सचिव आपदा एस.ए.मुरुगेशन, महानिरीक्षक एसडीआरएफ संजय गुंज्याल, एसडीआरएफ सेनानायक तृप्ति भट्ट, सहायक सेनानायक कमल सिंह पंवार, अनिल शर्मा, अधिशासी निदेशक यूएसडीएमए पीयूष रौतेला उपस्थित थे।

केदारनाथ आपदा : मिल सकते हैं आपदा मे लापता लोगो के कंकाल

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केदारनाथ में आपदा को आए सात वर्ष बीत चुके हैं, मगर पहाड़ि‍यों पर मानव कंकाल मिलने का सिलसिला अभी भी जारी है। आपको बताते चलें कि आपदा के दौरान लापता हुए तीन हजार से अधिक यात्रियों का आज तक भी कोई पता नहीं चल सका है। 16-17 जून 2013 को केदारनाथ में आई आपदा ने भारी तबाही मचाई थी। स्थिति इस कदर भयावह थी कि राहत कार्य 19 जून से शुरू हो पाए थे । 21 जून से भारतीय वायु सेना ने रेस्क्यू शुरू किया। इस बीच हजारों यात्री जान बचाने के लिए आसपास की ऊंची पहाड़ि‍यों पर चढ़ गए। लेकिन, रास्ता भटकने और भूख व कड़ाके की ठंड ने उनकी जान ले ली और उनमे से किस्मत वाले काफी यात्री त्रियुगीनारायण व चौमासी ट्रैक के साथ ही वासुकीताल से सकुशल लौटने में भी सफल रहे।

लापता यात्रियों की तलाश में सरकार ने वर्ष 2016 तक समय-समय पर सर्च अभियान भी चलाए। इस दौरान पहाड़ि‍यों पर बड़ी संख्या में मानव कंकाल बरामद हुए। इसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट की ओर से भी तीन बार सर्च अभियान चलाने के आदेश दिए गए। इन सभी अभियानों में अब तक 703 मानव कंकाल बरामद हो चुके हैं और 3183 यात्री अभी भी लापता हैं। पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह भुल्लर कहते हैं कि केदारनाथ की पहाड़ि‍यां काफी दुर्गम हैं। साथ ही यहां घना जंगल भी है। इससे कंकालों को खोजने में दिक्कतें पेश आ रही हैं लेकिन उनकी कोशिस जारी रहेगी