प्रदेश में गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं के पोषण हेतु संचालित की जायेगी सौभाग्यवती योजना।
CORONA UPDATE: उत्तराखण्ड में आज पाये गये 704 नये कोरोना केस, 716 लोगों की हो चुकी मृत्यु।

उत्तराखंड वन विभाग को ‘फोरेस्ट्री इनटरवेंशन फॉर गंगा’ के लिए 39,95,58000 रूपये व्यय की मिली स्वीकृति।

विधायकगणों एवं अधिकारियों ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई जीतने की ली शपथ।
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम एवं बचाव हेतु जन जागरूकता अभियान के तहत विधायकगणों एवं अधिकारियों को प्रतिज्ञा/शपथ दिलाई। उन्होंने कोविड-19 से बचाव हेतु कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सावधानियां बरतने, कोविड से जुड़े आचार व्यवहार का अनुसरण करने और दूसरों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करने की शपथ दिलाई। मास्क, फेस कवर पहनने एवं दूसरों से 02 गज की दूरी बनाकर रखने, नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोने, कोविड के लक्षण महसूस होने पर तत्काल चिकित्सा सलाह लेने एवं मिलकर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई जीतने की भी शपथ दिलाई।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों एवं कार्मिकों को कोराना से बचाव के लिए जन जागरूकता पर विशेष ध्यान देना होगा। त्योहारों एवं शीतकाल का समय शुरू होने वाला है। इसके दृष्टिगत मास्क की अनिवार्यता, सोशल डिस्टेंसिंग एवं स्वच्छता से सबंधित नियमों के पालन के लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता जरूरी है। सर्दी के समय में कोविड से बचाव के लिए और सतर्कता की जरूरत है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जब तक राज्य में कोविड पूर्ण रूप से समाप्त नहीं होता, तब तक जन जागरूकता अभियान चलाया जायेगा। उन्होंने कहा कि यदि किसी को कोविड के कोई लक्षण दिखाई दे,तो शीघ्र इसकी सूचना टोल फ्री नम्बर या स्वास्थ्य विभाग को दी जाये।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सुरक्षात्मक उपायों से इस बीमारी से लड़ा जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं स्वास्थ्य विभाग की गाईडलाईन का पूरा पालन जरूरी है। अधिकारी बैठकों को अधिकतम वर्चुअल माध्यम से करें। सतर्कता से राज्य में कोविड संक्रमण की दर में कमी आयी है, लेकिन इस समय किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरती जाये।
इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से विधायकगण, सचिवालय में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आर.के. सुधांशु, अमित नेगी, नितेश झा, शैलेष बगोली, डाॅ. पंकज पाण्डेय, डाॅ. रणजीत सिन्हा, महानिदेशक सूचना डाॅ. मेहरबान सिंह बिष्ट एवं शासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
सीएम ने ग्रामप्रधान और ग्रामवासियों से QDA द्वारा सम्पर्क स्थापित कर प्रणाली का किया शुभारंभ।
CORONA UPDATE: 400 नये कोरोना केस के साथ कुल आंकड़ा पहुंचा 53359, साल के अंत में आएगी कोरोना वैक्सीन।

पटेलनगर स्थित एचएनबी उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विवि का तृतीय दीक्षांत समारोह आयोजित।
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पटेलनगर स्थित हेमवती नन्दन बहुगुणा उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने छात्र-छात्राओं को उपाधियां प्रदान की। विश्वविद्यालय द्वारा सत्र 2019-20 के कुल 922 अभ्यर्थियों को उपाधियां प्रदान की गई।
इस अवसर पर संजय गांधी पी.जी.आई.एम.एस लखनऊ के न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष (पद्मश्री) प्रो. सुनील प्रधान, एम्स जोधपुर के निदेशक प्रो. संजीव मिश्रा, भूतपूर्व कुलपति हेमवती नन्दन बहुगुणा, उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय प्रो. सौदान सिंह एवं एम्स नई दिल्ली के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डी.के. शर्मा को ‘‘डी एस सी’’ की मानद उपाधि दी गई। चिकित्सा क्षेत्र में श्रेष्ठ शोध पत्र के लिए डॉ. प्रियंका चौरसिया, डॉ. स्मृति, डॉ. प्रेरणा सिंह एवं डॉ. दीपिका लोहानी को प्रो. (डॉ.) एन.सी.पंत पुरस्कार दिया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने हेमवती नन्दन बहुगुणा उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हेम चन्द्र द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘‘हेल्थ केयर डिलीवरी सिस्टम इन इंडिया’’ का विमोचन भी किया।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि शिक्षा जीवन पर्यन्त सीखने की प्रक्रिया है। इन विद्यार्थियों को अब एक नये जीवन की शुरूआत करनी है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने 06 वर्षों में राज्य में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में कई गुणात्मक कार्य किये हैं, यह टीम वर्क का एक अच्छा उदाहरण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2020 पूरे विश्व के लिए चुनौतीपूर्ण वर्ष रहा है। कोरोना महामारी ने मानव जीवन को काफी प्रभावित किया। कोविड से लड़ने के लिए हमारे सामने एक बड़ी चुनौती है। इस महामारी से लड़ने के लिए हमारे चिकित्सकों की सबसे अहम भूमिका रही है। लोगों की जीवन रक्षा के लिए देश में सैकड़ो चिकित्सकों ने अपने प्राणों की आहुति दी। चिकित्सकों के प्रयासों के परिणामस्वरूप इस कोरोना काल में सभी लोग आशावादी जीवन जी रहे हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि कोविड से बचाव के लिए राज्य सरकार ने व्यापक स्तर पर जन जागरूकता अभियान चलाया है। इसके लिए अपने अनुभवों को साझा करने के लिए एवं इससे बचाव हेतु लोगों से सुझाव भी मांगे गये हैं। समाज के प्रबुद्ध लोगों, चिकित्सकों, कोरोना वॉरियर्स, कारोना विनर्स एवं अन्य लोग अपने अनुभवों को विभिन्न माध्यमों से साझा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी एडवांस सोचती है और उनका कार्य करने का तरीका भी नया होता है। उन्हें अपने विचारों को विभिन्न माध्यमों से जरूर व्यक्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में चिकित्सकों ने देवदूत की भूमिका निभाई है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य में सरकार बनने के बाद हमने स्वास्थ्य सुविधाओं को पहली प्राथमिकता में रखा। 2017 तक राज्य में केवल एक हजार डॉक्टर थे। अभी प्रदेश में 2500 डॉक्टर हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में चिकित्सकों को भेजा गया है। 03 मेडिकल कॉलेज राज्य में चल रहे हैं, अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज भी जल्द चालू हो जायेगा। भारत सरकार द्वारा राज्य के लिए 03 मेडिकल कॉलेज और स्वीकृत किये गये हैं। सबको बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हमें और चिकित्सकों की आवश्यकता है। प्रदेशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले इसके लिए राज्य में अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना शुरू की गई। इससे प्रदेश के सभी 23 लाख परिवारों को सुरक्षा कवच दिया है।
इस अवसर पर कुलपति हेमवती नन्दन बहुगुणा उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय प्रो. हेम चन्द्र, सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी, प्रभारी सचिव स्वास्थ्य डॉ. पंकज पाण्डेय, निदेशक चिकित्सा शिक्षा युगल किशोर पंत आदि उपस्थित थे।
संचार के लिए क्यू.डी.ए प्रणाली को उपयोग करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखण्ड।
केदारनाथ आपदा : मिल सकते हैं आपदा मे लापता लोगो के कंकाल
केदारनाथ में आपदा को आए सात वर्ष बीत चुके हैं, मगर पहाड़ियों पर मानव कंकाल मिलने का सिलसिला अभी भी जारी है। आपको बताते चलें कि आपदा के दौरान लापता हुए तीन हजार से अधिक यात्रियों का आज तक भी कोई पता नहीं चल सका है। 16-17 जून 2013 को केदारनाथ में आई आपदा ने भारी तबाही मचाई थी। स्थिति इस कदर भयावह थी कि राहत कार्य 19 जून से शुरू हो पाए थे । 21 जून से भारतीय वायु सेना ने रेस्क्यू शुरू किया। इस बीच हजारों यात्री जान बचाने के लिए आसपास की ऊंची पहाड़ियों पर चढ़ गए। लेकिन, रास्ता भटकने और भूख व कड़ाके की ठंड ने उनकी जान ले ली और उनमे से किस्मत वाले काफी यात्री त्रियुगीनारायण व चौमासी ट्रैक के साथ ही वासुकीताल से सकुशल लौटने में भी सफल रहे।
लापता यात्रियों की तलाश में सरकार ने वर्ष 2016 तक समय-समय पर सर्च अभियान भी चलाए। इस दौरान पहाड़ियों पर बड़ी संख्या में मानव कंकाल बरामद हुए। इसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट की ओर से भी तीन बार सर्च अभियान चलाने के आदेश दिए गए। इन सभी अभियानों में अब तक 703 मानव कंकाल बरामद हो चुके हैं और 3183 यात्री अभी भी लापता हैं। पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह भुल्लर कहते हैं कि केदारनाथ की पहाड़ियां काफी दुर्गम हैं। साथ ही यहां घना जंगल भी है। इससे कंकालों को खोजने में दिक्कतें पेश आ रही हैं लेकिन उनकी कोशिस जारी रहेगी