देहरादून। अस्थायी राजधानी देहरादून की सड़कों पर गौंवश आपको कहीं भी नजर आ जाएंगे। सड़कों पर विचरते गौंवंश कभी भी किसी हादसे को न्यौता दे सकते हैं। कहने को तो उत्तराखण्ड में गौवंश अधिनियम के अनुसार सड़कों पर पशुओं को आवारा छोड़ना कानून अपराध है। लेकिन शायद इन गौवंश के मालिकों को या तो कानून की ही जानकारी नहीं है या उनको इस कानून की कोई परवाह नहीं हैं।
गौ सेवा आयोग बेबस
उत्तराखण्ड गौ सेवा आयोग समय-समय पर गौवंश अधिनियम की धारा 7 और 8 का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार नगर निकायो के लिए निर्देश जारी करता है। लेकिन शायद नगर निकायों के अफसरान इन निर्देशों पर कान देते हों। अभी हाल में गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष पं० राजेन्द्र अणथ्वाल ने गौ-अधिनियम का सख्ती से पालन कराने के लिए नगर निकायों के अफसरों की बैठक बुलाई थी। जिसमें उन्होंने सख्ती से गौंवश अधिनियम का अनुपालन करने को मौजूद अफसरों को हिदायत दी थी। वहीं अफसर शायद आयोग को ही हल्के में ले रहे हैं। अक्सर देखा भी जाता है कि जिम्मेदार अफसर आयोग की बैठकों से नदारद मिलते हैं।
समय-समय पर बैठकों के और पत्र के माध्यम से आयोग समाज में गौंवश अधिनियम की धारा 7 और 8 को लेकर जागरूकता अभियान चलाये जाने को निर्देश देता रहता है। लेकिन शायद ही नगर निकाय और नगर निगम के अफसर इन निर्देशों को पालन करते हैं।
दरअसल प्रदेश में गौवंशअधिनियम की धारा 7 और आठ का अनुपालन कराने के लिए आयोग नगर निकायों और नगर निगम पर आश्रित हैं।
क्या गौवंश अधिनियम की धारा 7 और 8?
गौवंश अधिनियम की धारा 7 गौवंश के स्वतंत्र विचरण का प्रतिशेध करता है। इस धारा के मुताबिक कोई भी व्यक्ति गौवंश को आवारा नहीं छोड़ेगा। एवं गौवंश को दुहने के पश्चात् स्वतंत्र विचरण नहीं करने देगा।
इस अधिनियम की धारा 8 शहरी क्षेत्रों में गौवंश के पंजीकरण को लेकर है। इस अधिनियम की धारा 8 के मुताबिक शहरी क्षेत्र में गो वंश के पालन के लिए सम्बन्धित क्षेत्र के राजकीय पशुचिकित्सालय पर नियुक्त पशुचिकित्सा अधिकारी से गोवंश के पंजीकरण का प्रमाण-पत्र प्राप्त करना बाध्यकारी होगा। राज्य सरकार नियत तकनीक एवं प्रक्रिया के अनुरूप प्रत्येक गोवंश की व्यक्तिगत पहचान स्थापित किया जाना आवश्यक होगा।
