देहरादून के माननीय सी जी एम कोर्ट में गौतम बुद्ध सुभारती मेडिकल कॉलेज में भ्रष्टाचार के एक मामले में उत्तराखंड के चार अधिकारी जिनमे अपर सचिव,उत्तराखंड शासन अरुणेंद्र सिंह चौहान,वित्त नियंत्रक विवेक स्वरूप, अपर जिलाधिकारी देहरादून के के मिश्रा और निदेशक, चिकित्सा शिक्षा डा आशुतोष सयाना के विरुद्ध माननीय CJM न्यायालय द्वारा आदेश के बाद कोतवाली देहरादून से दिनांक 2.4.25 (2 अप्रैल 2025) को रिपोर्ट प्राप्त हुई (1) “ इसमें कोई FIR दर्ज नहीं है “(2) माननीय क्षेत्राधिकार नगर महोदय को प्रेषित…रिपोर्ट दिनांक 4.2.25 उच्चाधिकारियो को प्रेषित की गई और उक्त पुलिस क्षेत्राधिकारो की जांच रिपोर्ट की प्रति न्यायालय में दाखिल की जिसमे माननीय न्यायालय द्वारा पुलिस को प्रकरण में प्रारंभिक जांच के आदेश दिए गए है ।
उक्त पुलिस जांच रिपोर्ट दिनांक 4.2.25 शिकायत कर्ता को लोक सूचना अधिकारी, पुलिस मुख्यालय से RTI में भी प्राप्त हो चुकी थी ।
देखिए माननीय CJM न्यायालय में कोतवाली देहरादून द्वारा दाखिल रिपोर्ट की सत्यापित प्रतिलिपि एव पुलिस मुख्यालय से प्राप्त RTI सूचना :-
कोतवाली द्वारा कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट सत्यापित प्रति
पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आर टी आई सूचना मे कहा गया कि शिकायतकर्ता द्वारा न्यायालय के आदेश के बाद पुलिस मुख्यालय से पुनः उक्त वाद में जाँच रिपोर्ट प्राप्त करने हेतु RTI में आवेदन किया और दिनांक 21.4.25 को पुलिस मुख्यालय लोक सूचना अधिकारी से प्राप्त RTI में वही क्षेत्राधिकारी की रिपोर्ट, वही शिकायत संख्या , वही पत्रांक संख्या प्राप्त हुई जिसमे तिथि बदली हुई थी और आख़िरी पैरा के बीच में एक लाइन एड की (बढ़ाई) गई जिसमे “ *विधिवत जाँच नहीं की गई तथा अपनी अंतिम रिपोर्ट शासन को भेजी गई *“ बढ़ा हुआ दिखा ।
देखिए 13.1.25 की रिपोर्ट
इसमें एक लाइन बढ़ाई गई जबकि कोर्ट में कोतवाली द्वारा दाखिल रिपोर्ट में ये एक लाइन नहीं है ।
शिकायत कर्ता ने पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड को पत्र भेज कर उक्त तिथि बदले जाने,एक लाइन बढ़ाई जाने और हस्ताक्षर की फॉरेंसिक जांच किए जाने का अनुरोध किया है । शिकायतकर्ता को अंदेशा है कि किसी ने क्षेत्राधिकारी की उक्त रिपोर्ट से उक्त लोकसेवकों को बचाने के लिए छेड़छाड़ और काँट छाँट की है।
सीसीटीएन कंप्लेंट में भी कोतवाली देहरादून द्वारा माननीय न्यायालय में दाखिल की गई क्षेत्राधिकारी की रिपोर्ट दिनांक 4.2.25 विलुप्त (ग़ायब ) कर दी गई क्यूंकि उसमे काँट छाँट की गई थी और वो इसमें उल्लिखित (entry ) में नहीं दिख रही है जिससे उक्त भ्रष्ट लोकसेवकों /अधिकारियों को बचाया जा सके परंतु उक्त खुलासा होने के बाद अब यह असंभव है उल्टा शिकायत कर्ता उक्त तथ्य माननीय न्यायालय के संज्ञान में ला रहा है ।
बड़ी बात यह भी है कि पुलिस मुख्यालय से प्राप्त CCTN की शिकायत (Complaint) को आरटीआई (RTI )में प्राप्त किया गया है ।
कानून क्या कहता है :
अगर पुलिस विभाग अदालत से मूल जांच रिपोर्ट छुपाता है, तो यह एक गंभीर अपराध है और इसके कई परिणाम हो सकते हैं, जिसमें अभियुक्तों के लिए कानूनी परिणाम, अधिकारियों पर कार्रवाई और मामले में देरी करने का आरोप शामिल हो सकता है।
उक्त संपूर्ण प्रकरण पर पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों को सूचित कर दिया गया है और अब उम्मीद जताई जा रही है कि पुलिस महानिदेशक,उत्तराखंड लोकसेवकों के विरुद्ध अनुमति के लिए पत्र शासन को भेज सकते है ।
