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खुलासाः श्रीदेव सुमन विवि की लड़ाई में लटका 750 छात्रों का भविष्य, कुलपति की भूमिका पर संदेह!

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देहरादून। श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय का एक ओर कारनामा सामने आये है। इस बार विवि ने बिना सीट के 14 कॉलोजों को पहले गुपचुप तरीके से 750 से अधिक छात्र-छात्राओं के दाखिले कराये और फिर विवि की ओर से उक्त छात्रों के विधिवत रोल नंबर और नामांकन जारी करते हुये परीक्षा भी करवा दी। जब मामले का खुलासा हुआ तो विवि के कुलपति और उनकी टीम ने छात्रों का परीक्षाफल ही रोक दिया है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर किसके इशारे पर इतनी बडी संख्या में पहले एडमिशन करवाये गये ओर फिर परीक्षाफल रोक दिया गया।

ताजा मामला विवि द्वारा फर्जी तरीके से 14 निजी शिक्षण संस्थानों में में गुपचुप 750 छात्र-छात्राओं को दाखिला दिलवाया गया। विवि से रिपब्लिक संदेश के हाथ जो लिस्ट लगी है उससे साफ होता है कि किस प्रकार विवि ने फर्जी तरीके से पहले कॉलेजों से एडमिशन करवाये और बाद में मामले ने तूल पकडा तो छात्रों का परीक्षाफल जारी करने से ही रोक दिया। जबकि पूर्व में भी इसी प्रकार के प्रकरण को लेकर राजभवन सख्त हिदायद दे चुका है कि भविष्य में इस प्रकार खेल किया गया तो इसके लिये कुलपति कार्यालय व कुलपति और कुलसचिव जिम्मेदार होंगे, लेकिन बावजूद इसके विवि प्रशासन है कि मानने को तैयार नही है।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धनसिंह रावत की ओर से विवि कुलपति को कई बार राजकीय महाविद्यालयों में छात्र हित को देखते हुये सीट बढाने को लेकर निर्देश भी दिये गये थे, लेकिन कुलपति ने उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। अब सवाल यह खडा होता है कि जब राजकीय महाविद्यालयों में सीट ही नहीं बढायी गई और गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर छात्र दाखिले से वंचित रह गये तो फिर किसके इशारे पर निजी 14 संस्थानों में 750 से अधिक सीट वृद्धि की गई है? अब जब इस मामले का खुलासा हुआ है तो जिम्मेदारों में हडकंप मच गया है। आनन-फानन में कॉलेजों में तय संख्या से अधिक प्रवेश पाए छात्र-छात्राओं के रिजल्ट विवि ने रोक दिए हैं।

विवि के इस फैसले को लेकर निजी कॉलेज के प्रबंधक भी अब विवि कुलपति के खिलाफ मुखर हो गये है। प्रबंधकों का कहना है कि जिस समय उक्त छात्रों की परीक्षा चल रही थी उस समय विवि की ओर से स्वयं कुलपति निजी शिक्षण संस्थानों का औचक निरीक्षण कर रहे थे। यही नहीं विवि कुलपति ने परीक्षा संपादन करने वाले कॉलेजों की सराहना भी की। अब सवाल यहां पर ये पैदा होता है कि जब सबकुछ नियम के अनुसार चल रहा था और ये सारा मामला कुलपति के संज्ञान में था तो छात्र-छात्राओं का रिजल्ट रोक कर मझदार में क्यों छोड़ा जा रहा है।

कहां हुआ खेल

पिछले वर्ष 18 अगस्त से लेकर सितंबर माह तक चली परीक्षाओं में बैठे 14 निजी शिक्षण संस्थानों के 750 से अधिक छात्र-छात्राओं का प्रकरण तब सामने आया जब उक्त छात्र-छात्राओं का परीक्षा परिणाम तैयार किया जा रहा था। इस दौरान विवि के कुछ अधिकारियों को शक हुआ कि कुछ निजी संस्थानों में तय सीटों की संख्या से अधिक छात्रों ने परीक्षा दे दी है। ऐसे में तत्काल कुलपति कार्यालय से सम्पर्क किया गया और उक्त छात्रों के संबंध में दिशा निर्देश जारी करने के लिये कहा गया। उक्त प्रकरण के संज्ञान में आने के बाद कुलपति ने चुप्पी साध ली और बच्चों को अधर में छोड दिया।

कुलपति के उड़नदस्ते की उडान पर भी संदेह

750 से अधिक छात्र-छात्रों के भविष्य को लेकर कुलपति का उड़न दस्ता भी संदेह के घेरे में आ गया है। अधिकांश कॉलेजों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कुलपति स्वय उडन दस्ते के साथ उड रहे थे और हर कॉलेज का निरीक्षण कर रहे थे। निरीक्षण के दौरान कुलपति महोदय को परीक्षा में बैठे छात्रों की सूची और अनुमन्य सीट की सूची भी उपलब्ध करवायी जाती रही है। ऐसे में उस समय छात्रों को परी़क्षा में बैठने से क्यों नहीं रोका गया?

किसने क्या कहा

मामले में जो पीडित छात्र-छात्राएं है उसके से न्याय किया जायेगा। लेकिन धांधली में जो भी अधिकारी कर्मचारी शामिल है उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। ये सामान्य घटना नहीं है, छात्रों के भविष्यय के साथ खिलवाड और गुपचुप तरीके से सीट बढाना गंभीर मामला है। ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्यवाही की जायेगी। इस प्रकरण को देखा जा रहा है कि किस स्तर से चूक हुई है। अगर इसमें किसी भी अधिकारी और कर्मचारी की भूमिका पायी गयी तो उसे जाना होगा।
डा० धन सिंह रावत, उच्च शिक्षा मंत्री उत्तराखंड सरकार।

श्री देव सुमन विवि में पूर्व में भी इस प्रकार का मामला सामने आया था। उस समय राजभवन के निर्देश पर छात्रों का परीक्षाफल जारी किया गया था। साथ ही राजभवन द्वारा यह निर्देश दिये गये था कि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही के लिये विवि कुलपति कार्यालय जिम्मेदार होगा। एक बार फिर 750 से अधिक छात्रों का भविष्य लटक गया है। यह सब एक साजिश के तहत हो रहा है। अगर सीट से अधिक छात्र थे तो विवि ने उन्हें परीक्षा देने से रोक देना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया, जिससे साफ होता है कि यह सब सुनियोजित तरीके से हुआ है। मेरे कुलसचिव रहते इन सब मामलों को कुलपति के संज्ञान में लाया गया था। उन्होंने किन परिस्थतियों में समय रहते कार्यवाही नही की, यह तो वही जानते होंगे, लेकिन यह प्रकरण सामान्य नही गंभीर है, जिसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
सुधीर बुडाकोटी, तत्कालीन कुलसचिव, श्रीदेव सुमन विवि।

मामला बेहद गंभीर है, इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। छात्रों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने बिना सीट के बच्चों की परीक्षा करवा दी। इस मामले को विस्तृत रूप से देख रहा हूं, उसके बाद ही इस पर आगे का निर्णय लिया जाएगा कि किस स्तर पर इस मामले को ले जाया जाएगा।
रविन्द्र जुगरान, समाजसेवी, नेता आप

 

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