Home उत्तराखंड रायपुर में आदिवासी समाज: दशा और दिशा पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

रायपुर में आदिवासी समाज: दशा और दिशा पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

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रायपुर। आगामी 28 से 30 अक्टूबर 2021 को रायपुर में “आदिवासी समाजः दशा और दिशा” (सभ्यता, संस्कृति, इतिहास, शिक्षा, कला, साहित्य, संघर्ष और वर्तमान चुनौतियाँ) पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम के आयोजक “गोंडवाना स्वदेश” मासिक पत्रिका है तथा न्यू सर्किट हाउस सिविल लाइन रायपुर (छत्तीसगढ़) में आयोजन प्रस्तावित है। कार्यक्रम छत्तीसगढ़ शासन संस्कृति विभाग व आदिवासी विकास विभाग द्वारा प्रायोजित है।

कार्यक्रम के मुख्य संयोजक रमेश ठाकुर ने बताया कि यह संगोष्ठी 2019 में भी किया गया था जिसमें देशभर से बुद्धिजीवियों ने आदिवासी समाज के विभिन्न पहलुओं जैस- सभ्यता, संस्कृति, शिक्षा, कला, साहित्य और उनकी चुनौतियाँ पर विश्लेषण किया था।

इस संगोष्ठी के संयोजक डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि आगामी इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में देशभर के बुद्धिजीवी भाग लेंगे, तथा छत्तीसगढ़ सहित पूरे भारत देश में रह रहे मूलनिवासी समाज के समस्याओं के बारे में शोध मंथन किया जाएगा खासकर उनकी दशा और दिशा पर।

इस कार्यक्रम में शिक्षाविद, शोधार्थी, नामी लेखक, पत्रकार, नीति-निर्माता तथा समाजिक कार्यकर्ता आदि बड़ी संख्या में जुटेंगे । इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उपविषय इस प्रकार रखे गए हैं जिस पर शोधपत्र मंगाए गए हैं।

• आदिवासी आंदोलन : इतिहास और वर्तमान
• आदिवासी समाज की ऐतिहासिक विरासत
• आदिवासी समाज और उनकी वर्तमान चुनौतियाँ
• आदिवासी समाज और राजनीतिक प्रतिनिधित्व
• आदिवासी महिला
• आदिवासी एवं संसाधनों की राजनीति
• आदिवासी समाज और भारतीय संविधान
• आदिवासी स्वशासन
• आदिवासी एवं कानून व्यवस्था
• 5वीं एवं 6वीं अनुसूची की चुनौतियाँ
• मूलनिवासी समाज का विस्थापन एवं व्यवस्थापन
• वनों का कटाव एवं मूलनिवासी समुदाएँ
• मूलनिवासी एवं सैनिकीकरण
• वन संरक्षण और बचाव : पारंपरिक बनाम आधुनिक
• आदिवासी सभ्यता-संस्कृति का वैविध्य
• आदिवासी समाज : विज्ञान और तकनीक
• आदिवासी/मूलनिवासी ज्ञान एवं विवेक
• संसाधन प्रबंधन : किसके द्वारा, किसके लिए और कैसे?
• जल, जंगल और जमीन का सवाल
• आदिवासी बनाम दिकु
• आदिवासी समाज और शिक्षा
• आदिवासी स्वास्थ्य और परंपरागत चिकित्सा
• पूंजीवाद, धार्मिक संक्रमण और आदिवासी समाज
• मुख्यधारा मीडिया और आदिवासी समाज
• सोशल मीडिया और आदिवासी समाज
• आदिवासी धर्मकोड, भाषा एवं लिपि
• भारतीय राज्यों में आदिवासियों की स्थिति
• विधायिका, न्यायपालिका एवं शासन-प्रशासन
• आदिवासी साहित्य-चिंतन के विविध पक्ष

प्रतिभागियों से शोध पत्र हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओँ में मंगाए गए हैं तथा इसकी अंतिम तारीख 20 अक्टूबर 2021 तक निर्धारित की गई। वहीं कार्यकम के संरक्षक मंडल में डॉ. गोल्डी एम. जॉर्ज, डॉ. सुनील कुमार ‘सुमन’, डॉ. निस्तर कुजूर, डॉ. जयलक्ष्मी ठाकुर, डॉ. उदयभान सिंह चौहान हैं। संगोष्ठी के सह संयोजक में डॉ. रामचंद साहू, दीनानाथ यादव, अर्चना बौद्ध, बिनिका दुर्गम तथा आयोजन समिति में डॉ. अनीश कुमार, अश्विनी कांगे, अजीत जोगी, मोहित राम चेलक, पूनम साहू, अंजलि यादव, कुम्ब कुमार सिन्हा, कमलेश कुमार, गणेश कुमार कोशले, अंकिता अंधारे, रजनी गुप्ता, दीपिका यादव, अग्निश, पंचशील श्यामकर, बृजेश प्रसाद, रजनीश कुमार अम्बेडकर, डॉ. ललित कुमार, विवेक सकपाल आदि शामिल हैं ।

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