Home उत्तराखंड टीकाकरण बना टेढ़ी खीर, किसे बतायें अपनी पीर

टीकाकरण बना टेढ़ी खीर, किसे बतायें अपनी पीर

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देहरादून। प्रदेश सरकार में जिम्मेदार आधे-अधूरे तैयारियों के साथ घोषणाओं और उद्घाटनो में व्यस्त है। ऐसा मालूम होता है कि ये जिम्मेदार लोग घोषणाओं और उद्घाटनों के जरिये ही कोरोना महामारी से जंग जीतने को उतरे हैं। प्रदेश भर से जब-तब इस तरह की खबरें देखने और सुनने को मिल रही है कि कोविड सेंटरों में पुख्ता इंतजाम नहीं है। कई मर्तबा राज्य के जिम्मेदार मंत्री भी अपने बयानों के जरिए अव्यवस्था को जगजाहिर कर चुके हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की इस अव्यवस्था का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

प्रदेश में कोविड के 18 से 44 आयुवर्ग का टीकाकरण अभियान भी इसी बदइंजामी का शिकार हो चला है। बीती 10 मई को प्रदेश के मुखिया है देहरादून में हरिद्वार बायपास स्थित राधास्वामी सत्संग न्या में इस आयु वर्ग के लिए टीकाकरण अभियान का शुभारम्भ किया था। प्रदेश के मुखिया का दावा था कि उत्तराखण्ड पहला राज्य है जहां सबसे पहले 18-44 आयु वर्ग के व्यक्तियों को मुफ्त टीकाकरण की घोषणा की गई है। इस आयु वर्ग में प्रदेश कुल 50 लाख लोगों का टीकाकरण होना है और इसके लिए प्रदेश सरकार 400 करोड़ खर्च करेगी।

लेकिन सरकारी दावों के उलट 15 दिन बीतने के बाद 18 से 44 आयु वर्ग के टीकाकरण का दावा भी दम तोड़ने लगा है। हालात ये हैं कि देहरादून जैसे राजधानी क्षेत्र में भी इस आयुवर्ग के टीकाकरण केन्द्र तकरीबन बंद हो चुके हैं। गौरतलब है कि अभी तक 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों का पंजीकरण कोविन पोर्टल पर आॅनलाइन हो रहा है। इस पोर्टल में पंजीकरण तो आसानी से हो जाता है लेकिन स्लाॅट बुक कराना महाभारत के चक्रव्यूह तोड़ना जैसा है। जिसे कोई अभिमन्यु और अर्जुन ही तोड़ सकता है। आम आदमी को तो कम से कम ये बिसात नहीं है।

देहरादून के कई युवा बताते हैं कि वे विगत 10 मई से रोजाना शाम चार बजे पोर्टल स्टाल बुक कराने की कोशिश करते है। महीना बीतने को आया है लेकिन अभी तक कामयाबी नहीं मिल पा रही है। एक युवा तो यहां तक कहते है कि लगता सरकार फिरकी ले रही है।

वहीं सरकारी कुव्यवस्था के खिलाफ कांग्रेस के बड़े नेता सूर्यकांत धस्माना ने गुरूवार को स्वास्थ्य महानिदेशालय में धरना दिया। उन्होंने प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर तमाम सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि ग्लोबल टेंडर कराने में राज्य की कोई भूमिका नहीं होती जिसके चलते अभी तक राज्य को विदेशी वैक्सीन नहीं मिल सकी है। ग्लोबल टेंडर का दावा कर सरकार और अधिकारी जनता को गुमराह करने में लगे हैं। जिसके चलते लोगों में अभी भी स्पूतनिक जैसी वैक्सीन का इंतजार हो रहा है

उन्होंने कहा कि अधिकारियों को भारत सरकार के स्तर पर अपनी डिमांड भेजनी चाहिए जिससे कि भारत सरकार विदेशों से इस वैक्सीन का आयात कर सके स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को वैक्सीन जैसे मामले पर गंभीरता लाने की जरूरत है जिससे टीके के लिए लोग दरबदर ना भटके।

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